तुलसी की खेती से पैसे कैसे कमाएं

आपके इस ब्लॉग में आपका स्वागत है तो चलिए भाइयों आज मैं आपको तुलसी की खेती के बारे में बताऊंगी। भाइयों जैसा कि हम सभी जानते हैं कि तुलसी एक औषधि गुण वाला पौधा है, इसका उपयोग विभिन्न प्रकार की औषधियों के रूप में किया जाता है। आजकल ऐसे पौधों की मांग बढ़ती जा रही है। अगर हम बात आस्था की करें तो हम में से कई लोगों के घरों के अंदर या बालकनी इमेज का पौधा मिल जाएगा जिसकी हर रोज पूजा की जाती है मगर अगर बात करें इसकी खेती की तो यह हमारी सेहत का ख्याल रखती है और हमें मालामाल भी कर सकती हैं तो चलिए जानते हैं इसकी खेती करने के तरीके और मुनाफे के बारे में

दोस्तों जैसे कि हर फसल को बोने के लिए बीज की आवश्यकता होती है वैसे ही इसके लिए भी पौध की जरूरत होती है इसलिए सबसे पहले जानते हैं किस का पौधा आप अपने घर पर कैसे तैयार कर सकते हैं।
नर्सरी कैसे तैयार करें
इसकी नर्सरी के लिए एक हेक्टेयर में रोपाई करने के लिए आधा किलो बीज की जरूरत होती है और आधा किलो बीज के लिए कोई 100 स्क्वायर मीटर भूमि की आवश्यकता होती है।
नर्सरी तैयार करने के लिए दोमट मिट्टी ज्यादा बढ़िया होती है 100 स्क्वायर मीटर जमीन में नीचे से 1 किलो डीएपी, 40 से 50 किलो गोबर की खाद, सड़ी हुई खाद या वर्मी कंपोस्ट पहले से मिला देते हैं एक डेढ़ मीटर चौड़ी और 5-6 मीटर लंबी क्यारियां उभरी हुई  बना लेते हैं उस पर बीज डाल देते हैं बीज आधा सेंटीमीटर से ज्यादा गहराई नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह बारीक बीज होता है और ऊपर से पुआल से हम ढक देते हैं।और एक नर्सरी लगभग 6 दिन या एक हफ्ता में जमकर के तैयार हो जाती है। नर्सरी में खरपतवार उसके साथ-साथ उगाते हैं इसलिए नर्सरी में तीन निराइयां जरूरी होती हैं छोटे-छोटे खरपतवार हाथ से उखाड़े जाते हैं।उपजाऊ भूमि है तो 25 दिन में, नहीं तो 30-32 दिन में नर्सरी रोपने योग्य हो जाती है।
 अब बात आती है कि खेती की तैयारी कैसे करें।
खेत की जुताई के समय 10 से 12 टन प्रति हेक्टेयर की दर से सड़ी हुई गोबर की खाद अच्छी प्रकार भूमि में मिला देते हैं।तथा उर्वरक के रूप में प्रति हेक्टेयर 60 किलोग्राम नाइट्रोजन , 60 किलोग्राम फास्फोरस , 40 किलोग्राम पोटाश की आवश्यकता होती है। इसमें से फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा का प्रयोग रोपण के समय तैयार खेत में करते हैं मैं किसान भाइयों को यह बताना चाहूंगा जब नर्सरी 25 से 30 दिन की हो जाती है तो लगभग उसकी लंबाई 4 से 5 इंच हो जाती है।
पादु खाने के उपरांत पौधों को फफूंद नाशी दवा कार्बेंडाजिम से जड़ों को उपचारित करना चाहिए भोपाल के लिए शाम को दुखाने के उपरांत पौधों को फफूंद नाशी दवा कार्बेंडाजिम से जुड़ो दुख आने के उपरांत ही दवा का उपचारित करना चाहिए










Comments

Popular posts from this blog

वामा देवी के प्यारे तुम अश्वसेन के दुलारे

बुला रहा मेरा गरीब खाना बस दो रोटी खा जाना

तेरे भरोसे मेरी गाड़ी तू जाने तेरा काम जाने