वाह रे दादा मान गया मैं फितरत को तेरी

वाह रे दादा मान गया मैं फितरत को तेरी
वाह रे दादा मान गया मैं फितरत को तेरी जान गया मैं
मैं तो चला था अकेला कि मेला मेरे साथ हो गया
जीवन से मैं हार गया था समय भी मुझको मार गया था
जैसे ही हाथ तूने थामा कि मेला मेरे साथ हो गया।।

जब से साथ तुम्हारा मिला है खुशियों का हर पुष्प खिला है।
जीवन जो महका हमारा कि मेला मेरे साथ हो गया।।
 जिस पर दादा की कृपा बरसती भक्त वो लूटे भक्ति की मस्ती।
हम सब झूम रहे हैं कि मेला मेरे साथ हो गया।।
 वाह रे दादा मान गया मैं फितरत को तेरी......

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