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बुला रहा मेरा गरीब खाना बस दो रोटी खा जाना

बुला रहा मेरा गरीब खाना बस दो रोटी खा जाना बुला रहा मेरा गरीब खाना बस दो रोटी खा जाना भेरुजी घर आ जाना....भेरुजी घर आ जाना.... भेरुजी मेरी देखो ना ये गरीबी भेरुजी मेरी रोटी रूखी-सूखी भेरुजी हम तेरे बेटे हैं ये विश्वास दिला जाना भेरुजी घर आ जाना..। भेरुजी मेरी छोटी सी है रसोई भेरूजी मैंने प्रेम सुवन से धोई रोटी छूट न जाए मेरी प्रेम से भोग लगा जाना भेरुजी घर आ जाना..। भेरुजी मेरा आंगन बाट निहारे भेरुजी हम रस्ता रोज बुहारे आजा एक दिन मेहमां बनके पावन चरण दिखा जाना भेरुजी घर आ जाना..। भेरुजी तुम जीमो भगत जिमायें भेरुजी तुम्हे मंगल गीत सुनायें प्रेम की रोटी ठीक लगे तो फिर से दुबारा आ जाना  भेरुजी घर आ जाना..।

तेरे भरोसे मेरी गाड़ी तू जाने तेरा काम जाने

तेरे भरोसे मेरी गाड़ी तू जाने तेरा काम जाने तेरे भरोसे मेरी गाड़ी तू जाने तेरा काम जाने हमको है आस तुम्हारी तू जाने तेरा काम जाने........ जबसे दादा तेरी शरण में आया एक अनोखा आनंद पाया मिट गई चिंता सारी।   तू जाने तेरा काम जाने....... . एक भरोसा एक ही आशा चरणों में तेरे अरदासा रखना लाज हमारी । तू जाने तेरो काम जाने........ मंजिल पर पहुंचाओं स्वामी भव से पार लगाओ स्वामी  हमको भरोसा है भारी । तू जाने तेरो काम जाने........ तुम ही मेरे मात-पिता हो तुम ही मेरे बंधु सखा हो मुझको तो शरण तुम्हारी।   तू जाने तेरो काम जाने...... ..

वाह रे दादा मान गया मैं फितरत को तेरी

वाह रे दादा मान गया मैं फितरत को तेरी वाह रे दादा मान गया मैं फितरत को तेरी जान गया मैं मैं तो चला था अकेला कि मेला मेरे साथ हो गया जीवन से मैं हार गया था समय भी मुझको मार गया था जैसे ही हाथ तूने थामा कि मेला मेरे साथ हो गया।। जब से साथ तुम्हारा मिला है खुशियों का हर पुष्प खिला है। जीवन जो महका हमारा कि मेला मेरे साथ हो गया।।   जिस पर दादा की कृपा बरसती भक्त वो लूटे भक्ति की मस्ती। हम सब झूम रहे हैं कि मेला मेरे साथ हो गया।।   वाह रे दादा मान गया मैं फितरत को तेरी......

नाकोड़ा तीर्थ में आईजो, प्रभु पार्श्व रा गीतडा गाइजो

नाकोड़ा तीर्थ में आईजो, प्रभु पार्श्व रा गीतडा गाइजो। भैरूनाथ ने मनाओ घड़ी-घड़ी..... मनें रात में नींद ना आवे, म्हाने हर पल याद सतावे। भैरू सपनों में आवें घड़ी-घड़ी..... भैरूनाथ ने मनाओ घड़ी-घड़ी..... थारे माथे मुकुट सोहे, थारे कानों में कुंडल सोहे थारे गले में माला भारी-भारी । भैरूनाथ ने मनाओ घड़ी-घड़ी..... थारे हाथ में त्रिशूल सोहे, थारे हाथों में खप्पर सोहे। थे तो डमरू बजाओ घड़ी-घड़ी । भैरूनाथ ने मनाओ घड़ी-घड़ी..... बावन भैरव मिल आइजो साथे चौसठ जोगन लाइजों। दरबार में आओ घड़ी-घड़ी.... भैरूनाथ ने मनाओ घड़ी-घड़ी.....

वामा देवी के प्यारे तुम अश्वसेन के दुलारे

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वामा देवी के प्यारे तुम अश्वसेन के दुलारे वामा देवी के प्यारे तुम अश्वसेन के दुलारे। ओ पारसनाथ....... आपके चरणों में हम सब का वंदन है।।  जलती अग्नि से नाग का जोड़ा तुमने बचाया महामंत्र नवकार सुनाकर उनको देव बनाया चिंतामणि वाले स्वामी, प्रभु तुम हो अंतर्यामी ओ पारसनाथ........ बन जाओ तुम ठाकुर मेरे, मैं सेवक बन जाऊं सेवक बनकर प्रभु चरणों में, निशदिन शीश झुकाऊं। जब-जब धरती पर आऊं, तेरा ही शरणा पाऊं। ओ पारसनाथ...... श्रद्धा सुमनों से जो भी तेरा ध्यान लगाते उनके संकट क्षणभर में आप ही मिट जाते श्रद्धा से जो भी ध्याते वो मनवांछित फल पाते ओ पारसनाथ...... श्री नाकोड़ा भैरव जी के भजन की ऐप डाउनलोड करने के लिए यहाँ पर क्लिक करें नाकोड़ा तीर्थ में आईजो, प्रभु पार्श्व रा गीतडा गाइजो दो आंसू तो दे दे वाह रे दादा मान गया मैं फितरत को तेरी

दो आंसू तो दे दे

दो आंसू तो दे दे  किसी को लाल देते हैं किसी को माल देते हैं।  कोई यह नहीं कह सकता कि दादा टाल देते हैं।।  कुछ दे या ना महावीर इस अपने दीवाने को।  दो आंसू तो दे दे चरणों में बहाने को।।  गौतम में बहाए थे, चंदना ने बहाए थे।  जब जब भी गिरे आंसू प्रभु दौड़े आए थे।। काफी है यह दो बूंदे भगवान रिझाने को।  दो आंसू तो दे दे । आंसू वो खजाना है किस्मत से जो मिलता है। इनके बह जाने से यह मेरा दादा पिघलता है। करुणा का तू सागर है अब छोड़ बहाने को।। दो आंसू तो दे दे  दुख में बह जाते हैं खुशियों में जरूरी है। आंसू के बिना दादा हर आंख अधूरी हैं।। दो आंसू तो दे दे। श्री नाकोड़ा भैरव जी के भजन की ऐप डाउनलोड करने के लिए यहाँ पर क्लिक करें ।

SYLLABUS FOR EXAMINATION FOR THE POST OF SR.TEACHER (GRADE-II) RPSC

RAJASTHAN PUBLIC SERVICE COMMISSION, AJMER SYLLABUS FOR EXAMINATION FOR THE POST OF SR.TEACHER (GRADE-II), SECONDARY EDUCATION DEPARTMENT PAPER – I (i) Geographical, Historical, Cultural and General Knowledge of Rajasthan: Location, extent, relief features, climate, drainage, vegetation, agriculture, livestock, dairy development, population distribution, growth, literacy, sex ratio, religious composition, industries, planning, budgetary trends, major tourist centres. Ancient Culture & Civilisation of Rajasthan, Kalibangan, Ahar, Ganeshwar, Bairath. History of Rajasthan from 8th to 18th Century - Gurjar Pratihars - Chauhans of Ajmer - Relations with Delhi Sultanate – Mewar, Ranthambore and Jalore. - Rajasthan and Mughals – Sanga, Pratap, Mansingh of Amer, Chandrasen, Rai Singh of Bikaner, Raj singh of Mewar. History of freedom struggle in Rajasthan - Peasants and Tribal Movements. - Prajamandal Movement. Integration of Rajasthan Role of women during Medieval and...